यह देश के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा, यदि सूक्ष्म-पार्टियां एक साथ पुन: मिल जाती हैं
यदि अगले लोकसभा चुनावों में केंद्र की सत्ता प्राप्त करने के लिए भारत के क्षेत्रीय एवं छोटे-छोटे दल एक बार पुनः साथ आ जाते हैं तो यह देश के लिए विनाशकारी होगा। वर्ष 1977 से हम ऐसे कई उदाहरण देख चुके हैं जो सिद्ध करते हैं कि क्षेत्रीय और छोटे-मोटे दलों से बने गठबंधन द्वारा बनाई गई सरकार देश के लिए लाभकारी नहीं होती है। ऐसे गठबंधन में प्रत्येक दल अपने-अपने हितों के लिए कार्य करता है, न कि संपूर्ण राष्ट्र के हित के लिए। गठबंधन का नेता बहुमत बनाए रखने के लिए अधिकांशतः इन हितों की पूर्ति के लिए विवश हो जाता है। इन क्षेत्रीय दलों के नेताओं ने केवल अपने व्यक्तिगत हित की सुरक्षा के लिए अतीत में कई बार अपने सिद्धांत बदले हैं। वे भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे और उन्हें गंदी राजनीति खेलने पर कोई शर्म नहीं है।
दुर्भाग्य से, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी) इस समय असहाय स्थिति में है। दल और जनता, दोनों को यह तथ्य समझना और स्वीकारना चाहिए। आईएनसी को क्षेत्रीय दलों के समर्थन से सत्ता में आने का प्रयास करने के स्थान पर, पुनः ज़मीनी स्तर पर कार्य करने और अपना समर्थक-आधार पुनः निर्मित करने का विकल्प चुनना चाहिए।
यह समय की आवश्यकता है कि भारत के पास एक सशक्त नेतृत्व हो जिसके पास सुस्थापित व गहरी जड़ों वाले राष्ट्रीय दल का समर्थन हो। इस समय भाजपा ही हमारी एकमात्र आशा है।